बादल ये आज काले ही क्यू है? (Hindi Poem)
इस प्यारी कविता – “” बादल ये आज काले ही क्यू है? (Hindi Poem) “” मे एक छोटा बच्चा अपनी मां से पूछ रहा है की बारिश के मौसम मे मुझे घर से बाहर जाने क्यू नही दे रही हो। कितना सुंदर संवाद है। आगे पढें, लाइक और शेयर जरूर करे।
Hindi Poem:
बादल ये आज काले ही क्यू है?
दिखते नही आज उजाले ये क्यू है?
घटा ऐसी छाई अंधेरा हो गया,
सूरज ने ओढ़ी ये चादर ही क्यू है?
निकल आए बच्चे सब गलियों मे आज,
हाथो मे हाथ डाले ही क्यू है?
हवा चली ऐसी जोर – जोर से,
पेड़ो की हिलने लगी डाले ही क्यू है?
मम्मी मुझे भी जाना है बाहर,
गेट पर डाले ये ताले ही क्यू है?
छोटे हो बच्चे, मम्मा ये बोली,
बैठो यहीं तुम्हे जाना ही क्यू है?
मुझे भी देखना है काले आसमान को,
जिसने डलवाए ये ताले ही क्यू है?
निडर सोच है, व्याकुल मन है ,
उड़ने की इच्छा ये पाले ही क्यू है?
उड़ने दो मम्मा मुझे भी आज तुम,
खुसियो पे छाई अंधियाली ही क्यू है?
कलम:
Bhoopendra Singh Chauhan