बच्चों की सैर …………..
शिक्षक भूपेंद्र चौहान द्वारा लिखी झुक – झुक करती आई रेल । बच्चे चढ़ गए पेलम -पेल , प्यारे प्यारे नन्हे बच्चों के लिए छोटी सी कविता । जो कि बच्चो को जरूर पसंद आएगी ।
हिंदी कविता
झुक – झुक करती आई रेल ।
बच्चे चढ़ गए पेलम -पेल ।
मेरा डिब्बा – मेरा डिब्बा,
मेरा डिब्बा – मेरा डिब्बा ।
कहते कहते और चिल्लाते ,
ठूस – ठूस कर भर दी रेल ।
झुक – झुक करती आई रेल ।
बच्चे चढ़ गए पेलम -पेल ।
मैं बैठूंगा – मैं बैठूंगा,
मैं बैठूंगा – मैं बैठूंगा ।
लड़ते लड़ते और झगड़ते ,
एक – दूसरे को रहे धकेल ।
झुक – झुक करती आई रेल ।
बच्चे चढ़ गए पेलम -पेल ।
टी – टी आया – टी – टी आया,
टी – टी आया – टी – टी आया,
एक बच्चे ने जब चिल्लाया ,
डर गए बच्चे ! बंद कर दिया अपना खेल ।
झुक – झुक करती आई रेल ।
बच्चे चढ़ गए पेलम -पेल ।
Good Habbits
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