Police Ranks, पुलिस विभाग रैंकिंग प्रणाली और उनके कार्य क्षेत्र विभाजन, पुलिस रैंक लिस्ट ।

भारतीय पुलिस बल

Police Ranks list , पुलिस विभाग रैंकिंग प्रणाली और उनके कार्य क्षेत्र विभाजन – भारत में पुलिस एक महत्वपूर्ण सुरक्षा एजेंसी है जो देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराधों के विरुद्ध लड़ाई में सक्षम है। पुलिस विभिन्न स्तरों पर आवश्यक सुरक्षा सेवाएं प्रदान करती है, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकार द्वारा संचालित होती हैं।

भारतीय पुलिस अपने विभिन्न स्तरों में विभिन्न रैंकों में विभाजित होती है। यह रैंक उनकी पदों के अनुसार होते हैं जो विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए असाइन किए जाते हैं।

भारत में पुलिस के सबसे ऊँचे अधिकारी डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस होते हैं। इसके बाद एडीजीपी, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस, सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस, सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस, अडीशनल सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस, इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल आते है ।

भारतीय पुलिस रैंक लिस्ट निम्नलिखित है:

  • डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DGP)
  • एडीजीपी / स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस(ADGP)
  • इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (IGP)
  • डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DIGP)
  • सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SSP)
  • सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SP)
  • अडीशनल सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (Addl. SP)
  • डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (Dy. SP)
  • इंस्पेक्टर (Inspector)
  • सब-इंस्पेक्टर (Sub-Inspector)
  • असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI)
  • हेड कांस्टेबल (Head Constable)
  • कांस्टेबल (Constable)

भारतीय पुलिस विभाग रैंकिंग अनुसार कार्यक्षेत्र :

Table of Contents

डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DGP)

डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DGP) भारत में पुलिस संगठन के सबसे ऊंचे स्तर के अधिकारी होते हैं। उन्हें राज्य की पुलिस संगठन का अध्यक्ष बनाया जाता है और वह सीधे राज्य सरकार के अधीन होते हैं। उन्हें पुलिस संगठन के सभी कामों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जो पुलिस संगठन में व्यापक होते हैं।

एक राज्य में एक से अधिक डीजीपी हो सकते हैं जो विभिन्न क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा, डीजीपी राष्ट्रीय स्तर पर सीधे भी भर्ती किए जाते हैं, जैसे नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के अंतर्गत सीबीआई और एनडीआईए जैसी संगठनों में अधिकारी के रूप में काम करते हैं।

DGP का पद एक बहुत ही महत्वपूर्ण पद होता है, जो राज्य की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। डीजीपी को अपने क्षेत्र में अपराधों के विरुद्ध लड़ाई में सक्षम होना चाहिए, साथ ही वे अपराधियों की पकड़ और उनकी सजा की गारंटी देने के अलावा वे राज्य सरकार और केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार राज्य में शांति और अशांति स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।

उन्हें आवश्यकतानुसार बड़ी स्थानों पर तैनात किया जाता है, ताकि वे वहाँ की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। वे राज्य के अन्य उच्च स्तरीय अधिकारियों जैसे सीएम, सीएस, एसपी, एडीजीएम, एचएम आदि के साथ भी संवाद करते हैं।डीजीपी उन अधिकारियों के बीच से होते हुए राज्य के संगठनित अपराधों की जांच और उनकी निगरानी करते हैं। उन्हें राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली सुरक्षा समितियों के अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DGP) – चयन का प्रकार

DGP का चयन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। इस पद के लिए नामांकन वरिष्ठतम IPS अधिकारियों में से किया जाता है। राज्य सरकार उन्हें आधारित करती है जैसे कि उनकी जानकारी, अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर जो नामांकित अधिकारी सबसे अधिक उपयुक्त होते हैं, उन्हें DGP के रूप में नामित किया जाता है।

DGP का चयन स्थानीय नीति और विधान से अलग-अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर चयन उन IPS अधिकारियों में से किया जाता है जो राज्य स्तर पर अधिकारी के रूप में कम से कम 2-3 वर्षों से काम कर रहे हों।

इसके अलावा, उन्हें उच्च अधिकारियों और संस्थाओं के द्वारा किए गए सम्मान्यता पर भी ध्यान दिया जाता है। चयन प्रक्रिया में अन्य मापदंड शामिल हो सकते हैं जैसे कि क्षेत्र, जाति, लिंग, योग्यता आदि। अधिकारी को उसके नामांकन के बाद सीधे राज्य के मुख्यमंत्री या उनके अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा नियुक्ति दी जाती है।

नियुक्ति से पहले, अधिकारी को अन्य परीक्षण जैसे कि चरित्र सत्यापन, औपचारिक अभ्यास आदि पर आधारित परीक्षण देना भी हो सकता है।

एडीजीपी / स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (ADGP)

स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (ADGP) भारतीय पुलिस रैंक में एक उच्चतम स्तर का पद होता है। यह पद सीधे डीजीपी के बाद आता है और इसे स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस भी कहा जाता है। ADGP अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस विभाग में बड़े क्षेत्रों के प्रभारी के रूप में काम करता है। उन्हें सीधे DGP के निर्देशों के अधीन काम करना पड़ता है।

(एडीजीपी) / स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (ADGP) – चयन प्रक्रिया

  • एडीजीपी / स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (ADGP) का पद भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का एक सीधा उप-सेवा पद होता है। इस पद के लिए चयन प्रक्रिया भी IPS परीक्षा के बाद होती है।

IPS परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद, उम्मीदवार जनरल रैंक के लिए चयन किये जाते हैं। जब उन्हें जनरल रैंक मिलता है, तो वे कुछ समय तक डिप्यूटी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DIG) के रूप में काम करते हैं। उनके बाद, एडीजीपी / स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस के पद के लिए उन्हें चुना जाता है।

एडीजीपी / स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलीस का कार्यकाल एक राज्य या केंद्र सरकार में स्थित शासन क्षेत्र में सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होता है। वे अपने विभाग के सभी स्तरों को संभालते हैं और अन्य उच्च स्तरीय अधिकारियों से संवाद भी करते हैं।

इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (IGP)

इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (IGP) भारतीय पुलिस सेवा का एक उच्चतम स्तरीय पद है। यह पद राज्य और केंद्र सरकार के लिए उपलब्ध होता है। इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस वर्ग के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों में से एक होता है जो राज्य की पुलिस संगठन में एक सीट ऊपर जाता है।

IGP की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक शासन क्षेत्र के समस्त राजनीतिक और सुरक्षा कार्यों के संचालन में शामिल होता है। इसके अलावा, IGP राज्य के सभी क्षेत्रों में स्थानीय पुलिस के संचालन और कार्यक्रमों का भी प्रबंधन करते हैं। वे राज्य की अन्य उच्च स्तरीय अधिकारियों के साथ भी संवाद करते हैं जैसे कि सीएम, एसपी, एडीजीएम, एचएम आदि।

इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (IGP) – चयन प्रक्रिया

इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस का चयन भी IPS परीक्षा के बाद होता है और वे संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा चुने जाते हैं। इसके लिए उम्मीदवार को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई IPS परीक्षा को पास करना होता है।

परीक्षा तीन चरणों में होती है – प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और व्यक्तिगतता विश्लेषण और साक्षात्कार। इसके बाद, उम्मीदवारों को ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें राज्य स्तरीय पुलिस अधिकारियों के रूप में नियुक्ति की जाती है।

इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस के पद के लिए चयनित अधिकारी की वेतनमान राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। इस पद पर नियुक्ति प्राप्त करने वाले अधिकारियों को अधिकारिक वाहन, अतिरिक्त सुरक्षा और अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।

डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DIGP)

डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DIGP) एक उच्चतम स्तर का पद होता है जो पुलिस विभाग में भारत में होता है। यह पद भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की एक उच्च स्तरीय पदोन्नति होती है जिसमें एक पुलिस अधिकारी को अपने क्षेत्र और शासकीय सुरक्षा से संबंधित कार्यों के लिए जिम्मेदार बनाया जाता है।

DIGP की दायित्व संबंधी कुछ मुख्य चीजें निम्नलिखित हैं:

  • क्षेत्रीय सुरक्षा और उपस्थिति की जिम्मेदारी लेना।
  • पुलिस शक्ति का प्रबंधन और अधीनस्थ करना।
  • क्राइम और अपराधों की जांच करना और इन्हें रोकने के उपायों का प्रबंधन करना।
  • राज्य या केंद्र सरकार के आदेशों के अनुसार कार्य करना।
  • अपने क्षेत्र में नागरिकों के साथ अच्छे संबंध बनाना
  • DIGP बहुत समझदार, अनुभवी और बहुत ज्ञानी होते हैं जो उन्हें अपने क्षेत्र में कार्य करने के लिए उपयुक्त बनाता है।

डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DIGP) – चयन प्रक्रिया

डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DIGP) की चयन प्रक्रिया भारतीय पुलिस सेवा (IPS) परीक्षा के माध्यम से की जाती है। यह परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है और इसमें व्यक्तिगतिकृत इंटरव्यू तथा फाइनल सिलेक्शन टेस्ट शामिल होते हैं। यह सभी IPS अधिकारियों के लिए एक ही चयन प्रक्रिया होती है।

इस परीक्षा के लिए, उम्मीदवारों को अपनी उच्च शिक्षा के आधार पर चयन किया जाता है। इसके बाद उन्हें लिखित परीक्षा देनी होती है जो अंग्रेजी, सामान्य अध्ययन तथा विचारशीलता के लिए होती है। उन उम्मीदवारों को चयन किया जाता है जो लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं।

उत्तीर्ण उम्मीदवारों को फिर एक व्यक्तिगत इंटरव्यू दिया जाता है जो उनके व्यक्तित्व, ज्ञान, बुद्धिमत्ता, लीडरशिप क्षमता तथा अन्य प्रभावकारी कौशलों का मूल्यांकन करता है। इस चरण के बाद, अंतिम चयन के लिए एक फाइनल सिलेक्शन टेस्ट आयोजित किया जाता है जो उन उम्मीदवारों के लिए होता है जो व्यक्तिगत इंटरव्यू चरण को पारित करते हैं। इस टेस्ट में, उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा दी जाती है जो अंग्रेजी भाषा में होती है और उसमें विविध विषयों के प्रश्न होते हैं।

जब अंतिम सिलेक्शन टेस्ट सम्पन्न होता है, तो एक फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है जो उन उम्मीदवारों को शामिल करती है जो सफलतापूर्वक प्रतियोगी परीक्षा तथा विविध चरणों को पारित करते हैं। इस तरह, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पोलीस (DIGP) बनने के लिए, उम्मीदवार को एक मुश्किल तथा दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है।

सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SSP)

सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SSP) भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का एक पद है जो जिले की पुलिस शाखा के नेता के रूप में कार्य करता है। उनका जिले में सुरक्षा, कानून व्यवस्था और जनता के हित में कार्य करना होता है।

सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SSP)- चयन प्रक्रिया

SSP की चयन प्रक्रिया भी IPS परीक्षा के माध्यम से होती है। जिन उम्मीदवारों को IPS परीक्षा में सफलता हासिल होती है, वे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम अनुभव के आधार पर SSP पद के लिए चयनित किए जाते हैं।

SSP के पद के अन्य विवरण निम्नलिखित होते हैं:

  • SSP को उनके जिले के सभी पुलिस ठानों का कमान और नेतृत्व करना होता है।
  • वे जिले की जनता की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • SSP को अपने जिले में होने वाली सभी गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेही देनी होती है।
  • वे जिले में होने वाली सभी पुलिस ऑपरेशन्स का सुनिश्चय करते हैं और उन्हें संचालित करते हैं।
  • SSP को अपने जिले में बढ़ते अपराधों को रोकने और उनके विरुद्ध दायित्वीय कार्यवाही करना होता है।

उन्हें की पदस्थापना एक बड़ी जिम्मेदारी होती है, क्योंकि वे जिले के सुरक्षा और कानून व्यवस्था को संभालते हैं। वे अपराधों को रोकने, अपराधियों को गिरफ्तार करने और संज्ञानयोग्य कार्रवाई करने के लिए उनकी टीम को संचालित करते हैं।

उन्हें अपने जिले में होने वाली गतिविधियों, समाचार और समस्याओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अपने जिले के लोगों की सुरक्षा और कल्याण के लिए संज्ञानयोग्य निर्णय ले सकें।

सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SP) – भारतीय पुलिस

सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SP) भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का एक पद है जो जिले की पुलिस शाखा के नेता के रूप में कार्य करता है। उन्हें जिले की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और जनता के हित में कार्य करना होता है।

सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SP) – चयन प्रक्रिया

SP का चयन भी IPS परीक्षा के माध्यम से होता है। जिन उम्मीदवारों को IPS परीक्षा में सफलता हासिल होती है, वे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम अनुभव के आधार पर SP पद के लिए चयनित किए जाते हैं।

SP के पद के अन्य विवरण निम्नलिखित होते हैं:

  • SP को उनके जिले की पुलिस शाखा का कमान करना होता है।
  • वे जिले की जनता की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • SP को अपने जिले में होने वाली सभी गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेही देनी होती है।
  • वे जिले में होने वाली सभी पुलिस ऑपरेशन्स का सुनिश्चय करते हैं और उन्हें संचालित करते हैं।
  • SP को अपने जिले में बढ़ते अपराधों को रोकने और उनके विरुद्ध लड़ने के लिए एक नेतृत्व की आवश्यकता होती है और वे उन्हें अपनी टीम के साथ संभालते हैं।

SP का मुख्य उद्देश्य जिले की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होना होता है। वे अपने जिले में अपराधों को रोकने के लिए न्यूनतम संभव समय में ठीक काम करने की जिम्मेदारी लेते हैं। वे अपराध के खिलाफ लड़ने के लिए जिले की पुलिस टीम को संभालते हैं और इस प्रकार से लोगों की सुरक्षा बढ़ाते हैं।

असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (ASP)

असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (ASP) एक पद है जो भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में होता है। यह पद सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SP) के बाद आता है।

ASP एक उच्च स्तरीय पद होता है जो जिले की पुलिस शाखा के नेतृत्व में कार्य करता है। उन्हें जिले की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (ASP)- चयन प्रक्रिया

ASP का चयन भी IPS परीक्षा के माध्यम से होता है। जिन उम्मीदवारों को IPS परीक्षा में सफलता हासिल होती है, वे अपने अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (ASP) के लिए चयनित किए जाते हैं।

ASP के पद के अन्य विवरण निम्नलिखित होते हैं:

  • ASP जिले में होने वाली सभी पुलिस ऑपरेशन्स के संचालन और कोऑर्डिनेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • वे अपने जिले में होने वाली सभी गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेह होते हैं।
  • ASP अपने जिले में लोगों की सुरक्षा और सुविधा के लिए निरंतर कदम उठाते हुए अपनी टीम के साथ काम करते हैं।

डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (DSP)

डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (DSP) भारतीय पुलिस सेवा का एक पद है जो राज्य पुलिस विभागों में होता है। यह पद सब रैंक से ऊपर होता है लेकिन सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (SP) से नीचे होता है। DSP का पद आईएएस ऑफिसर द्वारा भी धार्मिक रूप से संभव है।

DSP जिम्मेदार होता है कि वह संगठित अपराध के बारे में जानकारी इकट्ठा करें, जांच करें और अपराधियों को पकड़ें। वे अपराध जांच के लिए पुलिस अधिकारियों और अन्य सहायक कर्मचारियों को नियुक्त करते हैं और अपराध जांच की रिपोर्ट तैयार करते हैं। DSP भी समाज को अपराध से बचाने और जागरूक करने के लिए अभियान चलाते हैं।

डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (DSP) – भारतीय पुलिस चयन प्रक्रिया

डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलीस (DSP) के चयन के लिए भारतीय पुलिस सेवा (IPS) परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति होती है। इस परीक्षा के लिए योग्यता मानदंडों के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को चयन किया जाता है।

इस परीक्षा का पैटर्न तीन चरणों में होता है – प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू। प्रारंभिक परीक्षा एक ऑनलाइन चयन परीक्षा होती है, जो वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित होती है। मुख्य परीक्षा एक वस्तुनिष्ठ परीक्षा होती है जो विस्तृत पेपर्स और विस्तृत वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित होती है।

उम्मीदवारों को उनके चयन के आधार पर इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। इंटरव्यू के दौरान, उम्मीदवारों को अपने ज्ञान, अनुभव और संबंधित क्षेत्रों में उनकी योग्यता के आधार पर परीक्षण किया जाता है।

इंस्पेक्टर (आई) – Inspector

इंस्पेक्टर (Inspector) पुलिस विभाग में एक पद होता है। यह एक अधिकारी स्तर का पद होता है जो सब-इंस्पेक्टर्स के ऊपर स्थित होता है। यह पद भारत में अनेक पुलिस विभागों में होता है, जैसे कि राज्य पुलिस, केन्द्रीय और राज्यों की सीमा सुरक्षा बल, रेलवे पुलिस, आदि।

एक इंस्पेक्टर की मुख्य जिम्मेदारी क्रिमिनल जांच करना होता है। वे अपराधों की जांच करते हैं और शामिल होने वाले लोगों को गिरफ्तार करने के लिए संचालन करते हैं। इंस्पेक्टर अपराधों की रोकथाम और उन्हें दबाने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।

इसके अलावा, वे अपराधों की संज्ञानात्मक जानकारी भी जुटाते हैं और अपराधों के विरुद्ध जागरूकता फैलाने में मदद करते हैं।

एक इंस्पेक्टर को जनता से भी संपर्क रखना होता है और अपराधों के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के लिए उनसे सहयोग करना भी जरूरी होता है। वे जनता के साथ भी बैठकें आयोजित करते हैं ताकि उन्हें अपराधों के विरुद्ध जानकारी दी जा सके और जनता भी अपनी समस्याओं को इंस्पेक्टर के सामने रख सके। इसके अलावा, वे समय-समय पर पुलिस थानों में निरीक्षण भी करते हैं और अपनी टीम को दिशानिर्देश भी देते हैं।

पुलिस इंस्पेक्टर की जिम्मेदारियों में शामिल होते हैं:

  • अपराधों की जांच करना और अपराधियों को गिरफ्तार करना।
  • अपराधों को रोकने और दबाने के लिए उपाय बनाना और संचालित करना।
  • अपराधों के विरुद्ध जागरूकता फैलाने में मदद करना।
  • नई पुलिस अधिनियमों और नियमों के बारे में अपनी टीम को जानकारी देना।
  • जनता के साथ संपर्क बनाए रखना और उनकी समस्याओं का समाधान करना।
  • अपनी टीम को दिशानिर्देश देना और उन्हें निरीक्षण के लिए भेजना।

इंस्पेक्टर (आई) – Inspector – चयन प्रक्रिया

इंस्पेक्टर बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता के लिए आपको कम से कम एक ग्रेजुएट होना चाहिए। शारीरिक योग्यता के लिए, आपको एक निश्चित उम्र के तहत होना चाहिए और आपकी शारीरिक योग्यता भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

एक इंस्पेक्टर बनने के लिए आपको एक लिखित परीक्षा देनी होगी जो आपकी शैक्षणिक योग्यता, सामान्य ज्ञान, संविधान और कानून, राजनीति, सामाजिक मुद्दे और लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं से संबंधित होगी। शारीरिक टेस्ट में आपकी ऊर्जा, दृढ़ता, शक्ति और दक्षता को मापा जाएगा।

अंत में, साक्षात्कार आखिरी चरण होता है। इसमें आपको अपनी संवेदनशीलता, समस्याओं के समाधान करने की क्षमता, अनुभव, नैतिक मूल्यों का पालन, निर्णय लेने की क्षमता, टीम वर्किंग कैपेबिलिटी और आपकी रुचि के विभिन्न पहलुओं के बारे में पूछा जाता है।

सब इंस्पेक्टर (S.I)

सब इंस्पेक्टर (S.I) एक पद है जो भारतीय पुलिस सेवा में होता है। इस पद के अधिकारी सब-इंस्पेक्टर के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें उच्च अधिकारी के निर्देशों के अनुसार अपराधों की जांच करने और गिरफ्तारियों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

शैक्षिक योग्यता

सब इंस्पेक्टर पद के लिए उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा, शारीरिक टेस्ट और साक्षात्कार देने के लिए भेजा जाता है। इस पद के अधिकारी के पास सीधी प्रशासनिक अधिकार होते हैं जो उन्हें अपराधियों को जेल भेजने, अपराधों को रोकने और संचालित करने, जनता के साथ संपर्क बनाए रखने और अन्य कार्यों के लिए उनके प्रभाव का उपयोग करने की अनुमति देते हैं।

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) – Police Ranks

पुलिस असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) भारतीय पुलिस में एक अधिकारी होता है जो सीनियर सहायक के रूप में काम करता है। यह पद भारतीय पुलिस सेवा में सब-इंस्पेक्टर के बाद आता है।

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर एक सहायक पद होता है जो अपराध जांच, गिरफ्तारी और अन्य कानून व्यवस्था से संबंधित कामों में सीनियर सब इंस्पेक्टर या अन्य सीनियर अधिकारियों की मदद करता है। उन्हें अपने सीनियर अधिकारियों के द्वारा दिए गए कामों को पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।

एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर को बाल अपराधों, नारी अपराधों और अन्य अपराधों जैसी महिला और बच्चों की सुरक्षा से संबंधित कामों के लिए खास तौर पर प्रशिक्षित किया जाता है।

चयन प्रक्रिया

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता, उम्र और शारीरिक योग्यता जैसे कुछ मानदंडों को पूरा करना होता है। इसके अलावा, उम्मीदवार को एक लिखित परीक्षा, शारीरिक टेस्ट और इंटरव्यू के माध्यम से चयन होता है। इस पद के लिए शारीरिक योग्यता के मानदंड भी होते हैं, जिसमें उम्मीदवार की ऊंचाई, वजन, दौड़ और अन्य शारीरिक गुणों को मापा जाता है।

पुलिस असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर एक राज्य पुलिस विभाग, केंद्रीय और अन्य संगठनों में काम करता है। वे अपनी क्षमताओं का उपयोग करके अपराध जांच करते हैं, अपराधों की रोकथाम के लिए उपयुक्त कदम उठाते हैं और अपराधियों को गिरफ्तार करते हैं। वे अपराधियों की निगरानी करते हैं और संदेहास्पद गतिविधियों की जांच करते हैं।

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर का काम दृढ़ता, संयम और निर्णय लेने की क्षमता को आवश्यक बनाता है। वे विभिन्न स्तरों के लोगों के साथ संवाद करते हैं और उन्हें समझाते हैं कि कैसे वे अपने वर्तमान काम में सफल हो सकते हैं। वे एक टीम के साथ काम करते हैं जिसमें अन्य अधिकारी और उनके साथी शामिल होते हैं।

हेड कांस्टेबल (HC)

हेड कांस्टेबल (HC) भारतीय पुलिस में एक अधिकारी होता है जो सब इंस्पेक्टर और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के बाद आता है।

एक हेड कांस्टेबल सीनियर सिपाही होता है जो अपने सुपीरियर अधिकारियों की मदद करता है। उन्हें अपने सीनियर अधिकारियों के द्वारा दिए गए कामों को पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।

हेड कांस्टेबल विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं, जैसे अपराध जांच, शांति व्यवस्था बनाए रखना और अन्य सामाजिक मुद्दों के समाधान के लिए लोगों के साथ संपर्क बनाए रखना।

हेड कांस्टेबल को बाल अपराधों, नारी अपराधों और अन्य अपराधों जैसी महिला और बच्चों की सुरक्षा से संबंधित कामों के लिए खास तौर पर प्रशिक्षित किया जाता है।

शैक्षिक योग्यता

हेड कांस्टेबल बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता, उम्र और शारीरिक योग्यता जैसे कुछ मानदंडों को पूरा करना होता है। इसके अलावा, उम्मीदवार को एक लिखित परीक्षा, शारीरिक टेस्ट और चयन प्रक्रिया के माध्यम से चयन किया जाता है।

एक हेड कांस्टेबल का मुख्य काम अपने अधिकारियों की मदद करना होता है और उन्हें अपने क्षेत्र में सुरक्षित और आरामदायक रखने में मदद करना होता है। वे अपने उपनिरीक्षकों के आदेशों का पालन करते हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा, वे अपराध जांच, शांति व्यवस्था बनाए रखना और अन्य सामाजिक मुद्दों के समाधान के लिए लोगों के साथ संपर्क बनाए रखते हैं।

हेड कांस्टेबल के पद के लिए योग्यता और अन्य मानदंडों के अलावा, एक अच्छी अनुभव की आवश्यकता होती है। वे अपनी टीम को नेतृत्व करते हुए उन्हें मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान करते हैं। इसलिए, एक अच्छे हेड कांस्टेबल को उत्तम कमान, संगठन कौशल, नैतिकता और उत्तम संचार कौशल होने चाहिए।

कांस्टेबल (C)

कांस्टेबल (Constable) भारतीय पुलिस में एक अधिकारी होता है जो हेड कांस्टेबल और सीनियर सिपाही के बाद आता है। वे अपने सुपीरियर अधिकारियों के आदेशों के अनुसार काम करते हैं।

भारतीय कांस्टेबल भारतीय पुलिस में सबसे बड़ी संख्या में अधिकारी होते हैं और वे पुलिस विभाग की दैनिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होते हैं। उन्हें पटाखे जलाने, दंडाधिकारियों के साथ समन जारी करने, अपराधियों को पकड़ने और अन्य कार्यों के लिए भेजा जाता है।

कांस्टेबल अपने सीनियर अधिकारियों की मदद करते हैं और अपने क्षेत्र में सुरक्षा बनाए रखने के लिए उन्हें समर्थन करते हैं। उनका काम अपराध जांच, शांति व्यवस्था बनाए रखना, बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा, वाहन नियंत्रण और अन्य सामाजिक मुद्दों से संबंधित होता है।

शैक्षिक योग्यता

कांस्टेबल बनने के लिए उम्मीदवार को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता होती है। अधिकतम उम्र सीमा भी होती है जो अलग-अलग राज में भिन्न हो सकती है। उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा और शारीरिक परीक्षण के माध्यम से चयन किया जाता है। चयनित उम्मीदवारों को फिर ट्रेनिंग दी जाती है और वे उन्हें पास करने के बाद अपने पद के लिए चयनित किए जाते हैं।

कांस्टेबल का पद एक जिम्मेदार और गौरवान्वित पद होता है जो समाज के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस पद का ध्येय होता है समाज की सुरक्षा और अपराध को कम करना।

सब-ऑर्डिनेट कर्मचारी या क्लर्क इन भारतीय पुलिस

सब-ऑर्डिनेट कर्मचारी या क्लर्क एक स्तर के कार्यकारी कर्मचारी होते हैं जो किसी संगठन में बेसिक कार्यों का अधिकार होता है।

ये सभी तरह के सामान्य कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं, जैसे फ़ाइलें संग्रहित करना, डाटा एंट्री करना, ईमेल और फोन के माध्यम से संचार करना, और अन्य दस्तावेजों को तैयार करना और संशोधित करना।

सब-ऑर्डिनेट कर्मचारी पुलिस स्टेशन में भर्ती होते हैं और वे पुलिस विभाग में न्यूनतम स्तर के कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं। उनका काम साफ़-सफ़ाई, दस्तावेज़ीकरण, नागरिक संपर्क, सुरक्षा जाँच आदि होता है। वे पुलिस अधिकारियों की मदद करते हैं और उन्हें इन कार्यों में सहायता प्रदान करते हैं।

क्लर्क भी पुलिस स्टेशन में काम करते हैं और वे डेस्क जॉब्स के लिए भर्ती होते हैं। उनका काम दस्तावेज़ीकरण, लेखा-वेतन, डेटा एंट्री और अन्य कार्यों के लिए होता है। वे पुलिस अधिकारियों को जानकारी देते हैं और उनकी मदद करते हैं।

यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि कौन सा पद कहीं अधिक जिम्मेदार हो सकता है, क्योंकि दोनों का अहमियत अलग-अलग होता है और वे अपने अलग-अलग कामों के लिए जिम्मेदार होते हैं।

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