बचपन कही खो गया है!

बचपन कही खो गया है! – हिंदी कविता (Hindi Poem)

प्रस्तुत कविता बचपन कही खो गया है! कलम से निकली बचपन की वो यादें है, जो हम खो चुके है। आज हम अपने उस बचपन को भूल चुके है जो हमने कभी जिया है। आज जब मैं बैठा बारिश को देख रहा था तब मुझे वो महसूस हुआ, के हम वो यादें भूल चुके है। कविता आगे है, पूरी पढ़े और सोचे कहा है हमारा बचपन?

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नहाते थे कभी हम बरसात की पहली बारिश मे,
आज वो बचपन कहीं खो गया है ।
वो कागज की नाव बहती थी कभी बारिश में,
आज वो कागज कही खो गया है।
झूम उठते थे बरसते बारिश के पानी मे,
आज वो पानी कही खो गया है।
वो कूदते थे हम पानी के गड्ढों मे,
आज वो कूदना कही खो गया है।
नहाते थे कभी छत से गिरते पानी मे,
आज वो पनाला कही खो गया है।
चलाते थे कभी साइकिल बारिश मे,
आज वो साइकिल चलाना कही खो गया है।
खूब होता था शौर गांव की गलियों मे,
आज वो शौर् कही खो गया।
सोचा आज फिर से ढूंढ लू वो यादें बारिश मे,
लेकिन वो मन कही खो गया है।
धन्यवाद
कलम ✍️
Bhoopendra Singh Chauhan
(Teacher)

Bhoopendra Singh Chauhan
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