शिक्षा का धंधा बंद करना होगा । आखिर कब तक ? हम ऐसे ही अमीरों के हाथो जलते रहेंगे , आखिर कब तक ? हम जीतकर भी हारते रहेंगे , आखिर कब तक शिक्षा का व्यापार चलता रहेगा ।
शिक्षा का व्यापार :- मेरी कुछ संवेदना आज के युग को शर्मसार करती हुई । दर्द होता है जब कोई मेहनत करके भी हार जाता है , लेकिन उससे भी कही ज्यादा दर्द तब होता है जब बिना मेहनत के कोई जीत जाता है । कब होगी नकलविहीन परीक्षाएं ताकि मेहनत करने वाला जीत सके ।
Shiksha ka dhanda
शिक्षा का धंधा
छिन गया आज वो सपना,
जो वर्षों से था पनप रहा ।
मिट गया ज्ञान का सागर भी,
जो वर्षों से था चमक रहा ।।
क्या सपना झूठा था मेरा,
अंधकार मे लीन हुआ ।
ज्ञान भरे सागर में तपता,
कुल का दीपक विलीन हुआ ।।
क्या गरीब की शिक्षा अब ,
बाजारों मे जल जायेगी ।
क्या सच्चे ज्ञान की दौलत अब,
दलालों मे बेची जायेगी ।
देश बचाने वाले सुन लो ,
शिक्षा का धंधा बंद करना होगा ।
अगर ज्ञान की चिता जली तो ,
उसी आग मे जलना होगा ।।