आखिर कब तक ? हिंदी कविता
आखिर कब तक ? शिक्षा को व्यापार बनाया जायेगा। कविता उन लोगो की आवाज है जो गरीबी के कारण पढ़ लिखकर भी पीछे रह जाते है । अमीर लोग पैसे से उनसे आगे निकल जाते है वो पैसे से पेपर खरीद लेते है । मेहनत का क्या फायदा जब भ्रष्टाचार और दलालों की भेट ये मासूम चढ़ जाते है । उसी पर लिखी ये कविता सरकार की आंखो को खोलती हुई ।
ज़रूर पढ़े
आखिर कब तक ? यूं मासूमों को, रोज सताया जायेगा ।
आखिर कब तक शिक्षा को , व्यापार बनाया जायेगा ।
घर गिरवी है, खेत भी गिरवी , खुद बिकने को तैयार है सब
शिक्षा के खातिर जीवन को, यूं रोज रुलाया जायेगा ।
आखिर कब तक ? शिक्षा को, व्यापार बनाया जायेगा ।
आखिर कब तक अमीरों को, सब कुछ दिलाया जायेगा ।
आखिर कब तक ? शिक्षा को, लाचार बनाया जाएगा ।
पढ़े लिखे सड़को पर घूमे, अनपढ़ आज ज्ञानवान हुआ ।
शिक्षा के मंदिरों को कब तक, बाजार बनाया जायेगा ।
आखिर कब तक ? शिक्षा को, व्यापार बनाया जायेगा ।
आखिर कब तक सपनो को, नींदों से चुराया जायेगा
आखिर कब तक नींदों को, गमगीन बनाया जायेगा ।
तंगी का जीवन वो था, फिर भी पढ़ने में अड़ा रहा।
कब तक परीक्षाओं को, दलालों की भेट चढ़ाया जायेगा ।
आखिर कब तक ? शिक्षा को, व्यापार बनाया जायेगा ।
आखिर कब तक कानूनों की, आंखो को मूंदा जायेगा ।
आखिर कब तक सरकारों की, रगो को लूटा जायेगा ।
नियम तुम्हारे, कानून तुम्हारे, फिर क्यूं ये घोटाला है ।
कब तक दलालों की जेबों को, परवान चढ़ाया जायेगा ।
आखिर कब तक ? शिक्षा को, व्यापार बनाया जायेगा ।
खत्म करो ये भ्रष्टाचार, परिश्रम को सम्मान से जोड़ो ।
जिसका जितना कर्म बड़ा हो, वही स्थान वो पाएगा ।
आखिर कब तक ? शिक्षा को, व्यापार बनाया जायेगा ।
आखिर कब तक …..?
Written by:- Bhoopendra Chauhan ( Teacher )